Acharya Ramchandra Shukla Ka Anuvad Karm | आचार्य रामचंद्र शुक्ल का अनुवाद कर्म By आन्नद कुमार शुक्ल Anand Kumar Shukla(Hardcover, Hindi, Anand Kumar Shukla)
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आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का अनुवादक व्यक्तित्व उनके आलोचक व्यक्तित्व के आगे दब-सा गया है। अक्सर इस बात को नज़रअन्दाज़ कर दिया जाता है कि वे अपने युग के एक प्रमुख अनुवादक भी थे, जिन्होंने अनुवाद कर्म के माध्यम से तत्कालीन हिन्दी भाषा एवं साहित्य को चिन्तनधारा के नवीन आयामों से जोड़ा। और, कई बार अगर उनके अनुवाद कर्म की चर्चा की भी जाती है तो महज यह बताने के लिए कि यह उनका अतिरिक्त कार्य है; एक 'बाईप्रोडक्टÓ जिसकी उपयोगिता केवल सूचना होने भर की है। यह विस्मरण सिर्फ आचार्य शुक्ल के अनुवाद कर्म के लिए हो, ऐसा नहीं है। इसका सामना भारतेन्दु युग से लेकर द्विवेदी युग तक के उन तमाम अनुवादकों को करना पड़ा है, जिनके अनुवाद कर्म को यह कहकर दरकिनार नहीं किया जा सकता कि आधुनिक हिन्दी साहित्य के विकास में उनका योगदान इतना ही है कि महज तथ्यात्मक रूप से ये हिन्दी में अनूदित कृतियाँ हैं। निश्चित रूप से आज हिन्दी साहित्य विविध विधाओं के सुदृढ़ ढाँचे पर खड़ा है। शायद आज हिन्दी के साहित्यिक समाज को कोई अनूदित कृति क्रान्तिकारी परिवर्तन के लिए उत्साहित न कर सके, लेकिन क्या ऐसा ही आधुनिक काल के उस आरम्भिक दौर में भी था जब सभी मुख्य रचनाकार अपनी-अपनी अनूदित कृतियों के माध्यम से हिन्दी साहित्य में विविध विधाओं एवं सोचों के लिए जामीन तैयार करने में जुटे थे।